शिक्षा मंडल बना व्यापारी…परीक्षा प्रश्नपत्र के लिए अधिक राशि की उगाही 50 रुपये में स्कूल कैसे करे व्यवस्था…छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने जताया ऐतराज

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रायपुर। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल पर व्यवसायीकरण का आरोप लगाते हुए मांग किया है कि मंडल को छात्रहित व शाला हित में कार्य करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि 9 वी से 12 वी कक्षा तक के अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा हेतु मंडल ने प्रति छात्र 100 की देने का फरमान डीईओ के माध्यम से स्कूल को भेजा है,,,,ज्ञातव्य है 9 वी से 12 वी के छात्रों से परीक्षा शुल्क के नाम पर 150 रुपये लेने शासन ने तय किया है।

परीक्षा शुल्क से प्राप्त राशि 150 रुपये से ही शाला में त्रैमासिक, अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा लिया जाता था,,,साथ ही परीक्षा संबधित व्यवस्था व आवश्यक वस्तु लिया जाता था।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा 50 से 100 रुपये तक जमा करने के आदेश के बाद शालाओ में परीक्षा व्यवस्था भी खराब हो सकता है,,,अधिकांश शाला प्रमुख को यह चिंता है कि आखिर प्रत्येक छात्र के शेष 50 रुपये से वे कैसे परीक्षा व्यवस्था संचालित करेंगे।

ज्ञात हो अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा हेतु उत्तरपुस्तिका स्कूल को हो देना है,,और उत्तर पुस्तिका का खर्च ही अधिक है,,इसके साथ ही शाला को अंकसूची, पेड़, फाइल, परीक्षाफल पंजी, अलग अलग रजिस्टर, परीक्षा सूची, कक्ष व्यवस्था पत्रक, सील पेड़, स्टेपलर, धागा, पिन, कार्बन, पेंसिल, पेन, आदि कई वस्तु क्रय करना होता है,, *बड़ी बात यह भी है कि इस वर्ष शासन ने त्रैमासिक परीक्षा स्थगित करने की जब सूचना दी तो, कई शाला में परीक्षा संचालित हो रहा था,,जिसमे भी राशि खर्च हो चुके है।*

मजेदार बात यह भी है कि मंडल द्वारा 10 वी व 12 वी बोर्ड के वार्षिक परीक्षा हेतु प्रत्येक छात्र से 330 रुपये से लेकर 510 रुपये तक अलग से परीक्षा शुल्क लिया जाता है।

वर्तमान में अर्धवार्षिक, वार्षिक परीक्षा के लिए 11 वी हेतु 100, 9 वी हेतु 80, 12 वी हेतु 50 रुपये प्रति छात्र शालाओ से मंडल को शुल्क दिया जाना है।

*यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि मंडल एक परीक्षा के लिए एक छात्र को प्रश्नपत्र 50 रुपये में उपलब्ध करा रहा है,,इससे पहले जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 25 रुपये में व शाला प्रमुखों द्वारा 13 रुपये में प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया जाता है,,,सीधी बात है कि उच्च स्तर पर प्रश्नपत्र अधिक राशि मे प्रदान किया जा रहा है,,,जबकि छात्र संख्या बढ़ने से प्रश्न पत्र की राशि शाला से भी कम खर्च में उपलब्ध कराया जाना चाहिए, यही तो व्यवसायीकरण है।*

यह तथ्यात्मक बात है कि हजार व लाख की संख्या में प्रश्न पत्र प्रिंट होने पर राशि कम हो जाती है, जबकि शाला स्तर पर प्रश्नपत्र बनवाने में कम संख्या के कारण खर्च अधिक होने के बाद भी शाला प्रमुख कम खर्च में प्रश्न पत्र दे रहे है,,यहाँ प्राचार्य की भी भूमिका उचित होती है,, *स्थानीय परीक्षा के प्रश्न पत्र भी मंडल द्वारा दिए जाने से शाला प्रमुख के अधिकार समाप्त होते है, यह शिक्षा व्यवस्था में चिंतनीय है।*

मंडल द्वारा प्रश्नपत्र दिए जाने के बाद स्थानीय परीक्षा के प्रश्नपत्र की गोपनीयता संदिग्ध है,,,पूर्व में जिला शिक्षाधिकरियो के द्वारा प्रश्न पत्र देने के बाद पेपर लीक हो चुका है।

मंडल को परीक्षा व्यवस्था के लिए बनाया गया है,,जिसमे हमारे जनप्रतिनिधि, शिक्षाविद व शिक्षा से जुड़े हुए व्यक्तिव शामिल है,,जिन्हें बालक, शिक्षा व स्कूल को बेहतर व्यवस्था देने के लिए विचार करते हुए मंडल द्वारा तय किये वर्तमान शुल्क व व्यवस्था पर हस्तक्षेप करते हुए छात्रहित व शाला हित मे निर्णय लेने की आवश्यकता है, *छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने मंडल के अध्यक्ष व सचिव से मांग किया है कि छात्रहित व शाला हित मे वर्तमान तय किये गए शुल्क पर पुनर्विचार करते हुए निर्देश दिया जावे।

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