24 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके व्याख्याता को व्यवस्था से दूर क्यो किया जा रहा है ? ….24 वर्ष का अनुभव किस व्याख्याता के पास है ?…एक ही राजपत्र के बाद समान पद वाले से असमान व्यवहार क्यो ? जब जूनियर प्राचार्य डीईओ बने थे,,तब नियम की बात क्यों नही
रायपुर। पिछले 15 वर्षो में प्रधान पाठक व ब्याख्याता बीईओ बनते आये है, शासन ने यह जरूर नियम बनाया था कि बीईओ के लिए प्राचार्य पद पर 05 वर्ष का अनुभव होना चाहिए, पर लगातार प्रधान पाठक व ब्याख्याता को शासन द्वारा बीईओ बनाया गया है।
जो लोग आज एल बी संवर्ग के ब्याख्याता के बीईओ बनने का विरोध कर रहे है, वे यह भी बताए कि इसी सूची में 18 और भी व्याख्याता बीइओ कैसे रह सकते है?
*क्या इन व्याख्याता वर्ग के लिए अलग नियम है?*
व्याख्याता, एल बी संवर्ग की नियुक्ति हायर सेकेंडरी में 1995 से हुई है, तभी से वे व्याख्याता पद पर कार्य कर रहे है, नियुक्ति में भी पात्रता, योग्यता, अर्हता पहले से ही समान था, उनके पद की गणना भी व्याख्याता पद की ही थी,,तो वे आज 24 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके है, और स्कूल शिक्षा विभाग व आजाकवि के शासकीय शाला में ही सेवा किये है।
*अभी बीइओ पद में नियुक्त किस व्याख्याता का अनुभव हायर सेकेंडरी स्कूल में 24 वर्ष की है?*
प्रदेश में जूनियर प्राचार्य भी डीईओ के पद को सुशोभित कर चुके है, अतः नियम के इतर भी शिक्षा विभाग में व्यवस्था जारी रहा है।
इस सत्र में भी अनेक ब्याख्याता बीईओ बनाये गए है, साथ ही एल बी संवर्ग के ब्याख्याता भी बीईओ बने है, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने ई व ई एल बी संवर्ग के ब्याख्याता के बीईओ बनने का स्वागत किया है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, मनोज सनाढ्य, शैलेन्द्र पारीक, सुधीर प्रधान ने कहा है कि एल बी संवर्ग के ब्याख्याता के बीईओ बनने का विरोध करना अव्यहारिक है, क़्योंकि शिक्षा विभाग में नियम के साथ साथ व्यवस्था परम्परा पूर्व में भी लागू हुआ है, और वर्तमान में उसका दुहराव ही हुआ है।
शिक्षा विभाग के जिम्मेदार व शिक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए की ऐसा विरोध न हो, जिससे शिक्षकों के बीच विभाग में ही भेदभाव दिखाई देवे,,राजपत्र जारी होने के बाद सभी व्याख्याता (ई/टी/एल बी-ई/टी) सभी सामान है।