बिलासपुर। शिक्षा कर्मी से परीक्षा देकर प्रधानपाठक बने शिक्षकों के मामले पर उच्च न्यायलय ने स्थगन को जारी रखा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की फुल बेंच ने समिति परीक्षा के माध्यम से शिक्षाकर्मियों को प्राथमिक स्कूल में हेड मास्टर के पद पर पदस्थ किए जाने पर कोर्ट से जारी स्टे को यथावत रखा है। हाईकोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की है। राज्य शासन ने वर्ष 2009-2010 में प्रदेश की प्राथमिक शालाओं में प्रधान पाठक के रिक्त पदों पर शिक्षाकर्मियों को नियुक्ति देने के लिए समिति विभागीय परीक्षा आयोजित की थी।
परीक्षा में सफल होने वाले 56 शिक्षकों को विभिन्न प्राथमिक शालाओं में प्रधान पाठक के पद पर नियुक्ती दे दी गई थी। इसके खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षकों के बजाय पंचायत विभाग के शिक्षाकर्मियों को हेडमास्टर के पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। शिक्षकों ने याचिका में कहा कि हेड मास्टर का पद पदोन्नति का पद है जिसे पदोन्नति से ही भरा जा सकता है। इस याचिका के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शिक्षाकर्मियों की हेड मास्टर के पद पर नियुक्त करने के आदेश को खारिज कर दिया था।
सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ शिक्षाकर्मियों ने डिवीजन बेंच में रिट अपील पेश की। डीबी ने ने सभी 56 अपीलों को एक साथ सम्मिलित कर मामले की सुनवाई की। मामले में फुल बेंच ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई है। अपीलकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि उनकी नियुक्ति समिति परीक्षा के माध्यम से योग्यता के आधार पर की गई है और स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षकों को प्राथमिकता दिए जाने के बाद रिक्त पदों पर शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति की गई है।
हाईकोर्ट के तीन जजों की फुल बेंच ने सुनवाई के बाद सिंगल बेंच के आर्डर पर स्टे जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त का दिन निर्धारित किया है।