शिक्षाकर्मियों को मिल सकता है क्रमोन्नति का लाभ…मध्यप्रदेश में जारी हुआ पूर्व सेवा अवधि को जोड़कर क्रमोन्नति देने का आदेश..जब मध्यप्रदेश में मिल सकता है क्रमोन्नति का लाभ तो छत्तीसगढ़ में क्यों नही ?

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रायपुर 30 जुलाई 2019। शिक्षाकर्मियों के प्रमुख मांगों में से एक प्रमुख मांग क्रमोन्नति का रहा है। जिसके लिए कई बार आंदोलन किया जा चुका है तथा शिक्षाकर्मी संगठनों की ओर से ज्ञापन भी दिया जा चुका है। किंतु अब तक इस पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से ठोस आदेश जारी नहीं हो सका है। इस बीच मध्यप्रदेश शासन की ओर से वहां पर कार्यरत अध्यापक संवर्ग के लिए क्रमोन्नति के संदर्भ में मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। मध्य प्रदेश शासन के द्वारा मध्य प्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा शैक्षणिक संवर्ग सेवा एवं भर्ती नियम 2018 क्रमोन्नति का प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार शिक्षा विभाग में संविलियन के पूर्व केस सेवा अवधि को क्रमोन्नति वेतनमान के लाभ देने के लिए गणना किया जाएगा। जारी आदेश के तीसरे बिंदु में उल्लेख किया गया है कि शासकीय सेवकों के सुसंगत भर्ती नियमों के अंतर्गत निर्धारित करता है पूर्ण करने पर पदोन्नति की पात्रता होती है पदोन्नति हेतु पदों की उपलब्धता नहीं होने के कारण शासकीय सेवक को उत्साहित करने की दृष्टि से क्रमोन्नति समय मान का प्रावधान है। भर्ती नियम 2018 के अंतर्गत नियुक्त यद्यपि नवीन नियुक्ति है किंतु सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए अध्यापक संवर्ग में उनके द्वारा की गई सेवा को पदोन्नति क्रमोन्नति एवं समय मान की पात्रता में गणना के लिए जाने का निर्णय लिया गया है।
बिंदु 3.1 मे कहा गया है की भर्ती नियम 2018 के अनुसूची 4 में अगले पद पर पदोन्नति हेतु 5 वर्ष का अनुभव निर्धारित है इस प्रयोजन के लिए अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा अवधि को गणना में लिया जाएगा पुराना तेरी कोई व्यक्ति अध्यापक संवर्ग में वर्ष 2015 में नियुक्त हुआ है तथा 1 जुलाई 2018 को उसकी नवी नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक के पद पर हुई है तब प्राथमिक शिक्षक से माध्यमिक शिक्षक की पदोन्नति के लिए अनुभव की गणना के लिए वर्ष 2015 से दिनांक 30 से 2018 तक के अनुभव को जोड़ा जाएगा।

बिंदु 3.2 मे क्रमोन्नति के लिए कहा गया है की प्रथम क्रमोन्नति वेतनमान हेतु 12 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होना आवश्यक है इस प्रयोजन के लिए उपर्युक्त अनुसार क्रमोन्नति के लिए भी अध्यापक संवर्ग में की गई सेवा को सेवा अवधि की गणना में लिया जाएगा। अध्यापक संवर्ग में संविदा शाला शिक्षक को नियुक्ति दिनांक से योग्यता एवं अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर वरिष्ठता का लाभ क्रमोन्नति के लिए प्राप्त है।

उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति 1 अप्रैल 2008 को संविदा शाला शिक्षक नियुक्त हुआ है एवं 1 अप्रैल 2011 से अध्यापक संवर्ग में कार्यरत है तो अध्यापक संवर्ग में नियमानुसार 12 वर्ष अर्थात 1 अप्रैल 2020 को प्रथम क्रमोन्नति तथा 24 वर्ष अर्थात 1 अप्रैल 2032 को क्रमोन्नति वेतनमान हेतु विचार किए जाने के लिए पात्र होगा। भर्ती नियम 2018 के अंतर्गत 1 जुलाई 2018 को नियुक्त शिक्षक को सामान्य अवस्था में प्रथम उन्नति 1 जुलाई 2018 से 12 वर्ष पूर्ण होने पर 1 जुलाई 2030 को पात्रता होगी। परंतु
अध्यापक संवर्ग सेवा मे की गई सेवा अवधि की गणना में संबंधित शिक्षक दिनांक 1 अप्रैल 2020 को ही क्रमोन्नति के लिए पात्र होंगे ।इसी प्रकार की संविदा शाला शिक्षक को वर्ष 2015 एवं 2017 में प्राप्त है तब उन्हें क्रमोन्नति क 12 वर्ष पूर्ण करने पर वर्ष 2027 एवं 2029 में पात्रता होगी।

छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांत अध्यक्ष संजय शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि हमारे द्वारा पूर्व में भी स्कूल शिक्षा विभाग एवं पंचायत विभाग को वित्त विभाग में उल्लेखित नियमों के आधार पर ज्ञापन देकर शिक्षाकर्मी के रूप में किए गए सेवा को क्रमोन्नति के लिए गणना करते हुए क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान का लाभ देने का मांग किया गया है।अब मध्य प्रदेश में इस तरीके के स्पष्ट आदेश जारी होने से अब कोई भ्रम की स्थिति नहीं रह गई है।छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं पंचायत विभाग को पूर्व सेवा अवधि की गणना समयमान एवं क्रमोन्नति वेतनमान के लिए करते हुए स्पष्ट निर्देश शीघ्रजारी किया जाना चाहिए।

 

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