छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ दुवारा शिक्षक (एल बी)को पूर्व सेवा की गणना कर पदोन्नति देने के शासन के निर्णय का विरोध करना तुच्छ मानसिकता का परिचायक है

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सन् 1976 -77 में भी जनपद कालीन शिक्षको का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलयन किया गया था ।उनको पूर्व सेवा का लाभ देते हुए पदोन्नति ,क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है ।यहाँ तक की ऐसे निजी स्कूल जिसके कर्मचारियों की नियुक्ति शाला प्रबन्धन समिति दुवारा की जाती है उनको भी शिक्षा विभाग में संविलयन करते हुए पूर्व सेवा का लाभ देते हुए पदोन्नति एवम् क्रमोन्नति का लाभ दिया गया है । आज भी कई ऐसे जिला शिक्षा अधिकारी और उपसंचालक कार्यरत है जो कभी निजी स्कूलो में प्राचार्य थे जब शाला शासन के अधीन किया गया तो सभी कर्मचारी स्कूल शिक्षा में संविलयन हो गए और पूर्व सेवा अवधि की गणना कर समस्त लाभ दिया जा रहा है ।
नियमित शिक्षक कर्मचारी संघो के पदाधिकारियो की मानसिकता प्रारम्भ से ही शिक्षा कर्मियो के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार रहा है और वही मानसिकता अभी भी पाल कर रखे है ।राज्य शासन कोई भी शिक्षक (एल बी) के पक्ष में निकलते है उन्हें क्रियान्वयन करने में लेट लतीफी करते है और यह कह कर टाल देते है यह नियम और आदेश आप लोगो के लिए लागु होगा ।आप के लिए अलग से आदेश होगा उनके बाद शिक्षा विभाग की जो भी सुविधा है उन्हें देंगे ।
राज्य शासन 5 मई 2019 को छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षिक एवम् प्रशसनिक )भर्ती एवम् सेवा की शर्ते नियम 2019 प्रकाशित किया है जिसमे शिक्षक (एल बी)संवर्ग ,शिक्षक (ई /टी) संवर्ग के लिए एक ही भर्ती नियम बनाकर पदोन्नति के नियम बना दिए है और प्रत्येक वर्ग के लिए एक निश्चित % भी निर्धारित कर दिया है इस स्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ दुवारा शिक्षक (एल बी) संवर्ग की पदोन्नति के सम्बद्ध में गैरजवब्दारना ज्ञापन सौपना तुच्छ मानसिकता का परिचायक है जबकि अन्य शिक्षक संघठनो दुवारा कोई आपत्ति नही उठाई जा रही है ।
छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ या किन्ही अन्य संघठनो दुवारा शिक्षक (एल बी)सवर्ग को सुविधा प्रदान करने के सम्बद्ध राज्य शासन के निर्णय का विरोध किया जाता है तो छत्तीसगढ़ व्यख्याता(पं/एल बी)संघ इसका विरोध करता है ।

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