शिक्षा कर्मियों के संविलियन किये बिना राज्य शासन के द्वारा सीधी भर्ती करने पर रोक लगाने सम्बंधी याचिका पर माननीय हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस…चार सप्ताह में सरकार से मांगा जवाब

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बिलासपुर। राज्य शासन द्वारा नियमित शिक्षकों के सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया है और इस पर आवेदन भरने की प्रक्रिया भी जारी है। किंतु 1 जुलाई 2018 के बाद पूर्व में जारी संविलियन निर्देशों के अनुसार 1 जुलाई 2019 को संविलियन करने का भरोसा दिया गया था। किंतु वर्तमान सरकार द्वारा 5 मार्च 2019 को अधिसूचना जारी कर छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा शैक्षिक एवं प्रशासनिक संवर्ग मैं भर्ती तथा पदोन्नति नियम बनाए गए हैं इसके कार्य से मिले निर्देश प्रभावहीन हो गए। अधिसूचना के 4 दिन बाद ही राज्य शासन में शिक्षकों की सीधी भर्ती करने का विज्ञापन जारी कर दिया। सीधी भर्ती के निर्णय से पूर्व में कार्य शिक्षा कर्मियों के वरिष्ठता संबंधी नुकसान की स्थिति बन गई है। अंततः याचिकाकर्ताओं ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से माननीय हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर शासन के सीधी भर्ती के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर किया।जिस पर माननीय हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

हुआ यह है कि राज्य शिक्षक सेवा भर्ती अधिनियम के तहत शिक्षकों की भर्ती की जा रही है उसमे इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि नवनियुक्त शिक्षक एलबी संवर्ग की वरिष्ठता सूची के नीचे आएंगे क्योंकि प्रदेश में 40 हजार से अधिक शिक्षाकर्मी संविलियन से वंचित हैं और उनका संविलियन 8 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात होना है ऐसे में नई भर्ती वाले शिक्षक न केवल उन से दुगना वेतन पाएंगे बल्कि वरिष्ठता सूची में भी शिक्षा विभाग में पहले स्थान ग्रहण करने के चलते वरिष्ठ हो जाएंगे इसके अतिरिक्त पदोन्नति नियम में भी रेगुलर शिक्षकों के लिए अधिक पद आरक्षित किए गए हैं जिनका भी उन्हें लाभ मिलेगा और एलबी शिक्षकों को पदोन्नति के दौरान जबरदस्त नुकसान होना है । इन्ही विषयों को लेकर शिक्षाकर्मियों के एक समूह ने याचिका दायर की है।

क्या कहना है याचिकाकर्ता का 

जिस शैक्षिक भर्ती और पदोन्नति अधिनियम 2019 के तहत नए शिक्षकों की भर्ती की जा रही है उससे यह साफ परिलक्षित हो रहा है कि न केवल संविलियन से वंचित बल्कि शिक्षक एलबी को भी जबरदस्त नुकसान होगा । इन्हीं बिंदुओं को लेकर हमने न्यायालय में याचिका दायर की है हमारा उद्देश्य कहीं से भी नई भर्ती को रोकना नहीं है , हम केवल अपने अधिकारों की सुरक्षा चाहते हैं राज्य सरकार चाहे तो हमारा संविलियन करते हुए हमारे अधिकारों की रक्षा कर और अधिक पदों पर भर्ती कर सकती है लेकिन यदि इसी तर्ज पर नई भर्ती हो जाती है तो फिर हमें उन्हीं विसंगतियों को झेलना होगा जो हमने इतने लंबे समय तक झेला है इसलिए यह पूरे प्रदेश के हित में है कि एक बार ऐसा सिस्टम तैयार हो जाए ताकि किसी के भी हित प्रभावित न हो। हमें उम्मीद है कि शासन हमारे हितों का ध्यान रखते हुए और संरक्षण करते हुए न्यायालय में जवाब प्रस्तुत करेगी ।

विवेक दुबे, याचिकाकर्ता

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