आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, समस्त शासकीय तंत्र कोरोना वायरस से बचाव व रोकथाम के लिए पूर्ण समर्पित होकर कार्य कर रहा है छत्तीसगढ़ के शिक्षक भी इससे अछूते नहीं हैं लॉकडाउन के बाद से ही शिक्षकों की ड्यूटी कभी गरीबों को वितरण किए जाने वाले सूखा राशन की पैकिंग तो कभी रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले श्रमिकों की भोजन व्यवस्था से लेकर एयरपोर्ट पर आगंतुकों का ब्यौरा दर्ज करने व घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी एकत्र करने में लगाई गई थी 3 चरणों के सर्वे उपरांत अब जिला प्रशासन रायपुर ने इन्हीं शिक्षकों की ड्यूटी घर-घर जाकर स्वास्थ जांच करने में लगा दी है जिसके अंतर्गत शिक्षकों को उनके आवंटित क्षेत्रों में घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति का तापमान व ऑक्सीजन लेवल चेक करना है
सर्वे तक तो ठीक था परंतु शिक्षकों को स्वास्थ्य जांच का कार्य सौपना समझ से परे है इससे उसके स्वयं संक्रमित होने का खतरा तो है ही साथ ही वह किसी एक संक्रमित व्यक्ति की जांच कर दूसरे व्यक्ति की जांच करने पहुंचता है तो वह अपने साथ उस संक्रमण को घर घर पहुंचाने का वाहक भी बन सकता है इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता अगर ऐसा हुआ तो रायपुर शहर के आंकडा जो आज प्रतिदिन 300 है वह प्रतिदिन 1000 से अधिक भी हो सकते हैं ।
अतः शिक्षकों को इस ड्यूटी से मुक्त करवाने हेतु छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन, शालेय शिक्षक संघ व संयुक्त शिक्षक संघ के पदाधिकारियों के नेतृत्व में दिनांक 28- 08- 2020 को जिलाधीश रायपुर से पत्र के माध्यम से प्रार्थना की गई है कि तत्काल शिक्षकों को उक्त कार्य से मुक्त किया जावे।