अजीत जोगी एक शख्सियत ही नहीं बल्कि पूरी डिक्शनरी थे

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अजीत जोगी एक शख्सियत ही नहीं बल्कि पूरी डिक्शनरी थे

अजीत जोगी की मौत की खबर से पुरे छत्तीसगढ़ में एक रिक्त स्थान सी हो गई। उनके जीवन के बारे में हम गहनता से सोचे तो जीवन को अपने अंदाज से जीने का सलीका सीखने मिलती है । जरा सोचें-:*
*एक छोटा सा बालक एक छोटे से गांव में जहाँ पहली बार (1950) का दशक मे जब भारत को आजादी मिले कुछ ही वर्ष हुए थे। उनके गांव में कलेक्टर के आने की तैयारी हो रही थी, गांव के मुखिया ने जोगी जी के पिता से कहा एक उपहार देना है कलेक्टर सहाब को। उनके घर मे पुराना चीतल का खाल था, जिसे बहुत सहज कर जोगी जी रखे थे। उस खाल को गांव वाले के कहने से उपहार स्वरूप जोगी बालक के लाख मना करने के बावजूद दे दिया गया। दूसरे दिन जोगी जब स्कूल पहुंचे तो उन्होंने अपने शिक्षक से पूछा ये कलेक्टर कौन होता है जिनको मेरा सबसे प्यारा चीतल खाल मेरे गाँव वाले दे दिये।शिक्षक ने कलेक्टर पद के बारे मे बतलाया। तो बालक जोगी ने तत्काल सवाल था क्या मै भी कलेक्टर बन सकता हूँ ? शिक्षक ने कहा हां क्यो नही इसके लिए पढाई करनी होगी और क्लास मे अव्वल आना पढेगा।बस उस दिन से सफर चालू हुआ ।पहले आई पी एस, फिर आई ए एस वो भी गोल्ड मेडल के साथ । सबसे लम्बी कलेक्टरी का( 14 वर्ष ) अनुभव । एक कुशल चतुर प्रशासक फिर राजनीति में प्रवेश केन्द्र में काग्रेस के माहिर प्रवक्ता नये छत्तीसगढ़ में पहला मुख्यमंत्री बनना।*
*कहते हैं जोगीे जी के मुख्यमंत्री काल में जब अधिकारीयों की मिटिंग होती थी, तो सूई गिरने की तक आवाज भी आ जाती थी। एक एक बिन्दु वार प्रत्येक जिले की समीक्षा लेते थे। नया रायपुर की परिकल्पना , पानी संरक्षण के लिए जोगी डबरी, सड़क मार्ग को सुधारना, राजकीय खर्च कम रखना उनका महत्वपूर्ण कार्य थे। उन्होंने शिक्षा कर्मीयों के आन्दोलन को समाप्त करने के कई बहुत कोशिश की आखिर में उन्होंने नया वेतनमान 2700,3500,4200, दिया किन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी । नाराज कर्मचारियों ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने में आग के उपर घी का काम किया । किन्तु फिर भी सत्ता वापसी की लड़ाई जारी रही किन्तु कुछ समय पश्चात एक्सीडेंट में उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने नहीं दिया। किन्तु तात्कालीन भा ज पा सरकार के प्रमुख विपक्षी लीडर के रूप में लोहा मनवाते थे। कईयों का मानना है अगर उनका पैर ठीक रहता तो पुनः मुख्यमंत्री बन जाते। हमे याद है कि 2006 के शिक्षाकर्मी आन्दोलन में रमन सरकार ने लाठी चलवाई और हमारे प्रमुख लीडर जेल में डाल दिये गये थे। हड़ताल के पिक पाइंट पर हम नेतृत्व के बिना हम कुछ द्वितीय श्रेणी के नेतृत्व के साथ आन्दोलन ज़ारी रखें हुऐ थे ।इसी दौरान हमारे समर्थन में जोगी जी के आने की खबर मिली । सरकार ने तत्काल ही हम सब को विरेन्द्र पाण्डे जी के घर बुलवा लिया। मुझे आज भी याद है पाण्डे जी ने कहा था जोगी तुम्हारे आन्दोलन में आ रहा है ,वो इतना खतरनाक है कि तुम सब से मिल लिया तो हमारे लिए सब रास्ते बंद हो जाऐंगे । इस लिए मुख्यमंत्री से आज रात को ही आप सब की मीटिंग करवाते हैं ,आप सब यहीं रहना। मेरा मतलब सत्ता धारियों को भी जोगी जी के दिमाग से दहशत बना रहता था।*
*सोचनीय विषय है 15 साल व्हील चेयर पर रह कर छत्तीसगढ़ की राजनीति को एक ओर खींच कर रखा हुआ शख्स कितना जीवट था।*

*इस छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र एक कुशल प्रशासक जन राजनेता को कोटि कोटि नमन*
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*आशीष राम एवं छ ग टीचर्स एसोसिएशन जिला सुकमा की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि*
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