पालको की अनुशंसा से ही फीस का निर्धारण हो…निजी स्कूल कोई भी अन्य शुल्क बीच सत्र में न लेवे… अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 हेतु एसोसिएशन ने दिया है सुझाव

0
918
sanjay sharma

*पालको की अनुशंसा से ही फीस का निर्धारण हो*

*निजी स्कूल कोई भी अन्य शुल्क बीच सत्र में न लेवे*

*निजी स्कूल केवल 10 माह की फीस लें*

*गरीब बच्चो के निःशुल्क प्रवेश का प्रतिशत बढ़ाया जावे*

*निःशुल्क प्रवेशित बच्चो से स्कूल वाहन शुल्क न लिया जावे*

*निर्धारित शुल्क से अलग डोनेशन राशि न लिया जावे*

*अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम 2020 हेतु एसोसिएशन ने दिया है सुझाव, 3 बजे था अंतिम समय*

भारत में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा 21-क में संशोधन करके दिनांक 12 दिसंबर 2002 को *प्राथमिक शिक्षा को मौलिक अधिकार* बना दिया गया। इस कड़ी में 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए *निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009* जम्मू कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में 01 अप्रैल 2010 को लागू हुआ।

इसी संदर्भ में छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2010 दिनांक 15 नवम्बर 2010 को छत्तीसगढ़ में लागू किया गया।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के संवैधानिक प्रावधानों का पूर्ण अनुपालन करते हुए शिक्षा के व्यवसायीकरण को हतोत्साहित किये जाने एवं बच्चों की निर्बाध शिक्षा के लिए पालकों के वित्तीय बोझ को कम किये जाने की आवश्यकता है ।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजीद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रदेश सचिव मनोज सनाढ्य, प्रदेश कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने निजी विद्यालयों द्वारा लिये जाने वाले फीस के निर्धारण हेतु स्कूल शिक्षा विभाग छ.ग. शासन द्वारा *छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम, 2020 हेतु निम्न सुझाव दिए है :-*

1. निजी स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस का निर्धारण राज्य स्तर पर हो जो समूचे छत्तीसगढ़ में लागू हो ।
2. जिला एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी हो ।
3. फीस निर्धारण हेतु गठित समिति में पालकों की सक्रिय भागीदारी हो तथा उनकी अनुशंसाओं को अनिवार्यतः महत्व दिये जायें।
4. निःशुल्क प्रवेश हेतु आरक्षित सीटों की संख्या को 25 प्रतिशत से बढ़ाई जाये तथा निःशुल्क सीटों पर प्रवेशित बच्चों से किसी भी प्रकार का शुल्क न ली जाये ।
5. पाठ्येत्तर गतिविधियों के खर्चों का आकलन शासन स्तर पर हो तथा शासन द्वारा विभिन्न फंड हेतु अनुशंसित शुल्क जैसे – रेडक्रास, पीबीएफ, स्पोर्ट्स, ए एफ, स्काउट, विज्ञान, भूगोल आदि ही निजी स्कूलों द्वारा ली जाये ।
6. ट्यूशन फीस की सीमा निर्धारित हो जो विद्यालय के शिक्षकों तथा कर्मचारियों को दिये जाने वाले वेतन, अन्य खर्चे तथा विद्यालय संचालक का लाभांश आदि की गणना के बाद किये जायें।
7. शाला विकास शुल्क दर प्राथमिक स्तर पर रू 200, माध्यमिक स्तर पर रू 300 तथा हाईस्कूल/हायर सेकेण्डरी स्तर पर रू 500 से अधिक न हो ।
8. प्रायोगिक परीक्षा फंड हेतु शुल्क लेने के बावजूद पृथक से विषयवार प्रायोगिक परीक्षा शुल्क न ली जाये ।
9. परीक्षा शुल्क की सीमा निर्धारित की जाये तथा निर्धारित शुल्क के अलावा पृथक से परीक्षा शुल्क न ली जाये ।
10. वाहन व्यय पालकों की आय स्तर पर निर्धारित हो तथा आरटीई प्रवेशित गरीब बच्चों का वाहन व्यय निःशुल्क हो ।
11. कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर अतिरिक्त शुल्क न ली जाये ।
12. सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं पिकनिक के नाम पर अनावश्यक फीस न ली जाये ।
13. स्टेशनरी एवं यूनीफार्म क्रय के लिए पालकों को पूर्ण स्वतंत्रता हो ।
14. स्कूल फीस 10 माह का लिया जाये ।
15. निजी शालाओं द्वारा लिये जाने वाले शुल्क के मद एक समान हो व लोगों के निरीक्षणार्थ प्रदर्शित किये जायें।
16. निर्धारित शुल्क मदों के अलावा अन्य किसी भी प्रकार की राशि निजी शालाओं द्वारा
संग्रहित न किये जाये।

*अन्य सुझावः-*
1. बच्चों की सुरक्षा, खेल मैदान, किचन गार्डन, शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय, विभिन्न विषयों के प्रैक्टिकल लैब तथा नशा नियंत्रण आदि पर प्रभावी योजना बनायी जाये एवं समुचित क्रियान्वयन हो ।
2. निजी शालाओं की गतिविधियों एवं अभिलेखों की नियमित जांच हेतु उच्चाधिकारियों की एक समिति गठित की जाये तथा अधिनियमों की समुचित अनुपालन न किये जाने की दशा में इसे दाण्डिक प्रकरण मानते हुए दण्ड की रूपरेखा सुनिश्चित किया जाये।
3. शासकीय शालाओं को निजी शालाओं की भांति सुविधायें उपलब्ध करायी जाये तथा पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराते हुए शिक्षकों को गैर-शैक्षिक कार्यों से मुक्त रखने हेतु जिला तथा विकासखंड शिक्षा कार्यालयों को निर्देशित किया जाये एवं इसका पालन सुनिश्चित किया जाये।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.