‘डीए काटने का आदेश वापस ले केंद्र सरकार अन्यथा इसके विरोध में देशभर में होगा आंदोलन’ – ‘छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन’ ‘पुरानी पेंशन योजना बंद करने के बाद डीए रोकना कर्मचारीयो के साथ घोर अन्याय’ – ‘जाकेश साहू

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रायपुर । विश्वव्यापी कोरोना वायरस के कारण केंद्र सरकार द्वारा देशभर में कार्यरत सभी केंद्रीय कर्मचारियों का आगामी डेढ साल तक के लिए महंगाई भत्ता काटने का निर्णय हुआ है। स्वाभाविक है इसका असर सभी राज्यों के सभी राज्य कर्मचारियों पर भी पड़ेगा तथा सभी राज्य सरकारें भी राज्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता आगामी डेढ साल तक नहीं बढ़ाएंगे।
इससे देशभर के केंद्रीय एवँ राज्य कर्मचारियों सहित सभी कर्मियों को बड़ा भारी आर्थिक नुकसान होगा जिसका असर सीधा-सीधा कर्मचारियों के परिवार पर पड़ेगा तथा सभी कर्मियों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।
“छत्तीसगढ़ प्राथमिक शिक्षक फेडरेशन” ने केंद्र सरकार के इस फैसले को कर्मचारी विरोधी करार देते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मांग की है कि मोदी जी अपने इस फैसले पर पुर्नविचार करते हुए इस निर्णय को तत्काल रद्द करें। फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कि कर्मचारी वर्ग ही देश के प्रशासनिक व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है। किसी भी देश को कर्मचारियों के द्वारा ही चलाया जाता है, सारा प्रशासनिक कार्य कर्मचारियों के द्वारा ही सम्पादित किया जाता है। केंद्रीय कार्यालयों में देश के प्रमुख सचिव से लेकर राज्य सरकार की सबसे छोटी इकाई जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत व देशभर के सभी स्कूलों का संचालन कर्मचारियों के द्वारा ही होता है।
केंद्र से लेकर राज्य सरकार के सभी योजनाओं का क्रियान्वयन कर्मचारियों के द्वारा ही किया जाता है। जिलों एवँ ब्लाकों से लेकर ग्राम पंचायत में भी ग्राम पंचायत सचिव द्वारा कार्यो का सम्पादन होता है। कर्मचारियों का आय का एक मात्र जरिया उनका वेतन ही होता है जिससे वे परिवार का भरण पोषण करते है ऐसे में कर्मचारियों के डीए वृध्दि में डेढ़ साल तक का रोक किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। केंद्र सरकार को अपने इस निर्णय पर तुरन्त पुनर्विचार करना होगा। अन्यथा देशभर के सरकारी कर्मचारी संगठनो को इसके विरुद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
*पहले पुरानी पेंशन खत्म किया अब डीए*-
फेडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा कि पूर्व में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने सन 2004 से देशभर के कर्मचारियों का पुरानी पेंशन बंद कर दिया था। अब डीए में कटौती की जा रही है जो कर्मचारियों के साथ सरासर गलत है। कोरोना वायरस के चलते देशभर के कर्मचारियों ने इस संकट में यथासंभव आर्थिक सहयोग दिया है। एक माह के लाकडाउन में अर्थव्यवस्था इतनी चौपट नहीं हो गई है कि कर्मचारियों का वेतन व भत्तों को काटना पड़े।
यदि सरकार को अर्थव्यवस्था की इतनी ही चिंता है तो सभी नेताओं का पेंशन बंद कर दें। कोरोना महामारी के चलते देश के पुलिस, स्वास्थ एवँ सफाई कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर दिनरात मेहनत किया है। कई कर्मचारियों की इस महामारी की चपेट में आकर जान चली गई। इसके बाद कर्मचारियों के वेतन भत्तों में कटौती कतई उचित नहीं है। सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना होगा अन्यथा देश के सभी कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिनकी जवाबदारी केंद्र सरकार की होगी।

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