अम्बिकापुर:छतीसगढ़ में शिक्षा कर्मियों के लंबे संघर्ष के बाद शासन द्वारा संविलियन की घोषणा कर आवश्यक कार्यवाही आरम्भ की गई है परन्तु अभी भी शिक्षाकर्मीयो में विसंगति पूर्ण आदेश के कारण असंतोष व्याप्त है ।
छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि शासन द्वारा शिक्षक पंचायत के संविलियन की घोषणा की गई है जिसका संघ स्वागत करता है परन्तु वास्तव में खुशी तब होती जब क्रमोनत वेतनमान के साथ सभी पंचायत शिक्षकों का एक साथ शिक्षा विभाग में संविलियन होता , विदित हो कि शिक्षा कर्मी समान काम समान वेतन की मांग को लेकर 22 वर्षो से संघर्ष रत्त थे एवं अभी कुछ माह पूर्व छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के बैनर तले पूरे प्रदेश में बृहद आंदोलन किये थे जिसमे प्रदेश के 95 प्रतिशत शिक्षक पंचायत शामिल रहे पूरे विद्यालय प्रभावित हुये थे शासन के समक्ष विरोध दर्ज कराने के बाद शून्य पर आंदोलन वापस कर लिया गया था , तब शासन द्वारा हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था एवं कमेटी के अधिकारी राजस्थान एवं मध्यप्रदेश सरकार में पदस्थ शिक्षकों पर लिये निर्णय को जानने के लिये इन राज्यो का दौरा किये एवं संघो के प्रतिनिधियों के साथ भी कई बार बैठक किये परंतु जो संविलियन की घोषणा की गई इसमें काफी विसंगति है शासन के निर्णय से लम्बे समय से कार्यरत्त शिक्षा कर्मियों एवं आठ वर्ष से कम के शिक्षा कर्मियों को कोई विशेष आर्थिक लाभ नही हुआ है जिससे इस वर्ग के मन मे भारी निराशा के भाव है वर्तमान में शासकीय कर्मचारियों के जैसे क्रमोनत वेतनमान के साथ वेतन निर्धारण करने से सभी शिक्षकों को लाभ होता साथ ही वर्ष बंधन भी समाप्त कर सभी का संविलियन एक साथ करना चाहिए था ।
वर्तमान समय मे सबसे ज्यादा असंतोष सहायक शिक्षक वर्ग में है क्यो की पुनरीक्षित वेतन निर्धारण में विसंगति पूर्ण निर्धारण किया गया था जो अभी भी कायम है जिसके कारण सहायक शिक्षक पंचायत एवं शिक्षक पंचायत के वेतन में काफ़ी अंतर हो गया , इस वर्ग को संविलियन से कोई विशेष आर्थिक लाभ नही हो पा रहा है वही कई शिक्षक पंचायत 10 वर्ष या इससे अधिक वर्षो से एक ही पदों पर पदोन्नत्ति नही होने के कारण कार्यरत्त है इन्हें भी अत्यधिक आर्थिक लाभ नही हुआ है जिससे इस वर्ग के शिक्षा कर्मियों में भी निराशा के भाव है ।
रंजय सिंह ने बताया कि छतीसगढ़ सरकार को क्रमोनत वेतनमान देते हुए सबका संविलियन करना चाहिये एवं इस समूह हेतु अलग से नियम निर्धारण करने की आवश्यकता नही है जो शासकीय शिक्षकों के नियम पूर्व से है वही सभी पर लागू करें , साथ ही क्रमोनत वेतनमान देते हुए सबका संविलियन करने से ही सभी वर्ग संतुष्ट हो पायेंगे एवं सरकार के संविलियन का निर्णय सार्थक हो पायेगा